Saturday, September 28, 2013

कुछ ऐसा जाम पिला साकी- १०

मत पूछ तेरी याद में, मैंने,
कितने आँसू बहाए है,
आँखों के लाल डोरे बता देंगे,
की ये रुकने का नाम कहाँ पाए है,

बस और न दिल में दर्द उठे,
न कोई जख्म अब जहर बने,

कुछ ऐसा जाम पिला साकी,
की कोई और तमन्ना बाकी न रहे,
सेहर होने तक रोऊ मैं आज,
की इन आँखों में आँसू कोई बाकी न रहे,

कुछ ऐसा तनहा सा हो जाऊ मैं आज,
की खुद को खुद की भनक न लगे,
लम्बा अरसा गुजर गया,
खुद की कब्र पे लिपटे हुए,

बस और ये रोने के बहाने न हो,
दिल में दर्द के थपेड़े न हो,

कुछ ऐसा जाम पिला साकी,
की कोई और तमन्ना बाकी न रहे,
बस तनहा मैं सो जाऊ,
और दिल में दर्द की सदा न रहे,


कुछ ऐसा जाम पिला साकी,
की कोई और तमन्ना बाकी न रहे,

||साकेत श्रीवास्तव||

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