Thursday, September 26, 2013

पीछे क्यों हटना

ग़र चाह यही है,
जो राह चुनी है,
तो डर से पीछे क्यों हटना,

ग़र हुंकार भरी है,
और ललकार करी है,
तो जंग से पीछे क्यों हटना,

आसमान तक शोर उठा दो,
मौत का सीना चीर दिखा दो,

ग़र मातृभूमि को छु ले कोई,
उसके घर में मौत जग दो,

मस्तक पे अक्षत टीका हो,
मन में पावन गीता हो,
मातृभूमि की रक्षा में,
सर-काल बने तुम मडराओ,



ग़र चाह यही है,
जो राह चुनी है,
तो डर से पीछे क्यों हटना.

~~साकेत श्रीवास्तव~~

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