Monday, November 11, 2013

आज भी तेरे इश्क में

है आहों का बाज़ार गर्म,
आज भी तेरे इश्क में,
सुलगती, इस लाश की हर सांस है,
आज भी तेरे इश्क में,


दूर जाना पास आना,
कभी कदमों का डगमगाना,
वक़्त से है होड़ लगी,
आज भी तेरे इश्क में,


जिंदगी से रोज हारे,
मौत का है सेहरा बांधें,
कुछ भी कर जाने की चाहत,
है, आज भी तेरे इश्क में,


भूल जाऊं तुझे मैं,
वक़्त की इस चाल में,
तेरे जैसा पत्थर नहीं मैं,
आज भी तेरे इश्क में,


तू ये माने या ना माने,
संग जाने या न जाने,
चिता हूँ अपनी खुद जलाये,
आज भी तेरे इश्क में,


शायद कभी तू भूल के,
ढूँढने मुझको फिर से आये,
सर्द आहों में तू मेरा,
जिक्र थोडा फिर से पाए,


रो उठेगा तेरा भी दिल,
जब तू देखेगी अपनी आँखों से,
 कैसे मिलती रोज मौत मुझको,
आज भी तेरे इश्क में,


है आहों का बाज़ार गर्म,
आज भी तेरे इश्क में.

||साकेत श्रीवास्तव||

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