Friday, June 28, 2013

क्यों है

अकेलेपन की दिल में,
आरजू क्यों है,
मौत पाने की खुद,
को ख्वाहिश क्यों है,

रगों में तेरा नाम,
बन के दौड़ता है लहू मेरा,
आखिर तेरे इश्क,
में ये दीवानगी क्यों है,

याद आ जाता है कभी कभी,
सांस लेने पे, 
मुझसे किया वो तेरा वादा,

की तू मेरा हाथ थामे,
मेरे संग आएगी,
मौत की बात अलग होगी,
वरना साथ छोड़,
के कभी न जाओगी,

आज पूछता है दिल मेरा,
बता तेरा वादा इतना,
कच्चा क्यों है,

दुःख इस बात का नहीं दिल को मेरे,
बस दर्द ये है तबसे की देख,
वफ़ा की मनमानी आखिर,
की मेरा प्यार इतना सच्चा क्यों है.

अकेलेपन की दिल में,
आरजू क्यों है.

||साकेत श्रीवास्तव||

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