Monday, July 15, 2013

कुछ ऐसा जाम पिला साकी- ९

कभी मुझसे जुड़ के देखो,
संग मेरे जी के देखो,
हर रोज मरा हूँ इश्क में तेरे,
कभी मेरा टूटा दिल तो देखो,

ले चल मुझे इन वादों से दूर,
बिखरे पड़े इन रिश्ते नातों से दूर,

कुछ ऐसा जाम पिला साकी,
की कोई और तमन्ना बाकी न रहे,
दूर हो जाऊं सारी दुनिया से आज,
और संग कोई वादा न रहे,

कई बार रोया हूँ सारी रात मैं,
कभी मुझे यूँ  बिलखता तो देखो,

गर वादा ना निभाऊ तो बेवफाई है मेरी,
पर तेरी वफ़ा में कभी मुझे जलता तो देखो,

कुछ ऐसा जाम पिला साकी,
की कोई और तमन्ना बाकी न रहे,
दूर हो जाऊ सारे नातों से आज,
और किसी वफ़ा में जलता न जाऊ.

ले चल इन वादों से दूर.

||साकेत श्रीवास्तव||

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