Friday, June 28, 2013

क्यों है

अकेलेपन की दिल में,
आरजू क्यों है,
मौत पाने की खुद,
को ख्वाहिश क्यों है,

रगों में तेरा नाम,
बन के दौड़ता है लहू मेरा,
आखिर तेरे इश्क,
में ये दीवानगी क्यों है,

याद आ जाता है कभी कभी,
सांस लेने पे, 
मुझसे किया वो तेरा वादा,

की तू मेरा हाथ थामे,
मेरे संग आएगी,
मौत की बात अलग होगी,
वरना साथ छोड़,
के कभी न जाओगी,

आज पूछता है दिल मेरा,
बता तेरा वादा इतना,
कच्चा क्यों है,

दुःख इस बात का नहीं दिल को मेरे,
बस दर्द ये है तबसे की देख,
वफ़ा की मनमानी आखिर,
की मेरा प्यार इतना सच्चा क्यों है.

अकेलेपन की दिल में,
आरजू क्यों है.

||साकेत श्रीवास्तव||

Tuesday, June 25, 2013

कुछ जिन्दा सा

कुछ हैरान सा,
कुछ परेशान सा,
बीते लम्हों से कुछ,
जुदा सा,

तेरा नाम ढूढने,
का इल्म लिए,
मैं जिन्दा हूँ,
कुछ मरा सा,

पथराई आँखों में,
दर्द का सैलाब लिए,
ढूढता हूँ तुझे,
कुछ थका सा,

इल्म नहीं है शायद तुझको,
किस रंग के सपने देखे मैंने,

कभी तुझ संग सांस मैं लेता हूँ,
और कभी जिन्दा हूँ तुझसे जुदा सा,

एक बार झलक जो मिल जाए,
बेचैन दिल को सुकून आये,
तेरे इश्क में जागे रहते है,
तेरी याद में खोये रहते है,

बस एक बार अगर तू संग आये,
मेरा हाथ थाम के रुक जाए,

तो समझ सकू मैं बात भी ये,
की मैं भी हूँ कुछ जिन्दा सा...

कुछ हैरान सा,
कुछ परेशान सा,
बीते लम्हों से कुछ,
जुदा सा.

||साकेत श्रीवास्तव||

Saturday, June 15, 2013

जब तक जिन्दा हूँ जी लेने दो

बस कुछ वक़्त की कहानी है ये,
या उफनती मौजो की रवानी है ये,
जब तक जिन्दा हूँ जी लेने दो,
वरना मौत आने तक की कहानी है ये,

किसी की याद आना बार बार,
या दिल का भर आना बार बार,
ये तो किस्सों का सिलसिला भर है,
या पानी का गिरना भर है,

चलो भाग चलते है,
इन यादों से दूर कही,
शायद मौत से आगे तक कही,
शायद ये जिन्दा रहने की निशानी भर है,

जब तक जिन्दा हूँ जी लेने दो,
वरना मौत आने तक की कहानी भर है.


||साकेत श्रीवास्तवा||
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