Sunday, February 16, 2014

इस दिल से मुझे कोई आस नहीं है

कोई चाह नहीं,
कोई बात नहीं,
मेरे बस में ये सांस नहीं,

दिल टूट रहा है,
संग छूट रहा है,
इस दिल से मुझे कोई आस नहीं है,

है आग लगी,
और बात बनी,
मेरे संग है मेरी मौत चली,

है रात हुई.
और कोई साथ नहीं,
पागल सी मंथर हवा चली,

तू साथ नहीं,
खुद की याद नहीं,
खुद से खुद की है जंग छिड़ी,

तू साथ नहीं...खुद की याद नहीं...

||साकेत श्रीवास्तव||


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